दरिया
मेरी तस्वीर में, रंग और किसी का तो नहीं
घेर लें मुझको सब आ के, मैं तमाशा तो नहीं ।
ज़िंदगी तुझसे हर इक साँस पे समझौता करूं,
शौक़ जीने का है मुझको, मगर इतना तो नहीं ।
रूह को दर्द मिला दर्द को आँखें ना मिली,
तुझको महसूस किया है, तुझे देखा तो नहीं ।
सोचते सोचते दिल डूबने लगता है मेरा,
ज़हन की तह में 'मुज़फ्फर', कोई दरिया तो नहीं ।
घेर लें मुझको सब आ के, मैं तमाशा तो नहीं ।
ज़िंदगी तुझसे हर इक साँस पे समझौता करूं,
शौक़ जीने का है मुझको, मगर इतना तो नहीं ।
रूह को दर्द मिला दर्द को आँखें ना मिली,
तुझको महसूस किया है, तुझे देखा तो नहीं ।
सोचते सोचते दिल डूबने लगता है मेरा,
ज़हन की तह में 'मुज़फ्फर', कोई दरिया तो नहीं ।
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