बज़्म

उर्दु ज़बान की चाशनी में घुली महफ़िल-ए-सुख़न

Wednesday, October 27, 2004

शाम के बाद

जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद
और बढ़ जाती है अफसुर्दा-दिली शाम के बाद

अब इरादों पे भरोसा है ना तौबा पे यकीं
मुझ को ले जाये कहाँ तश्ना-लबी शाम के बाद

यूँ तो हर लम्हा तेरी याद का बोझल गुज़रा
दिल को महसूस हु‌ई तेरी कमी शाम के बाद

यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी 'अदीब'
अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बाद

4 तबसिरात:

Blogger आलोक said...

दिल कॊ महसूस हुई तॆरी कमी शाम कॆ बाद

यूँ तॊ कुछ शाम सॆ पहलॆ भी उदासी थी 'अदीब'
अब तॊ कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम कॆ बाद

मान गए।
वैसे तेरी और तॆरी में फ़र्क है। तॆरी वाली मात्रा हिन्दी में है नहीं।

9:36 PM  
Blogger Jitendra Chaudhary said...

मुनीश भाई,
मेरी इच्छा है कि सारे मशहूर शायरो की गजले और नज्मे एक ही जगह पर UNICODE मे उपलब्ध हो... साथ ही साथ... कठिन उर्दू लफ्जो का अनुवाद हो, सर्च करने की फैसीलिटी हो...किसी एक शायर से या फिर किसी मूड से, या फिर किसी शब्द से.
साथ ही शायरो का कुछ परिचय भी हो....

क्या आप की नजर मे ऐसी कोई साइट है क्या?

अगर मै यह प्रोजेक्ट इनीशियेट करू, तो क्या आप इस पर काम करना पसन्द करेंगे?

2:43 PM  
Blogger आलोक said...

और आप चाहें तो उसका आतिथ्य http://devanaagarii.net/hi/ पर किया जा सकता है।

7:26 PM  
Blogger Jitendra Chaudhary said...

आलोक भाई का सहयोग और मेजबानी भी हो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है,
मुझे तो मंजूर है, लेकिन मै चाहूँगा की यह एक ऐसा प्रोजेक्ट हो जिसमे सारे हिन्दी चिट्ठाकार भाई लोगो का सहयोग हो...क्योंकि यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा होना चाहिये.

अभी मुनीष भाई का जवाब आना बाकी है....

आलोक भाई,इस बीच हिन्दी चिट्ठाकार के ग्रुप मे इमेल तो डाल ही दीजिये...देखिये कितने लोगो का इन्टरेस्ट है इस प्रोजेक्ट मे.

11:24 AM  

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